नमस्कार
मैं
आपका दास, मोहनदास करमचंद गांधी | जिसे आप सभी ने प्यार से ‘बापू’ कहा, ‘महात्मा’
कहा | मगर मैं आज आप सभी को अपने राष्ट्र के हित के लिए कुछ कहना चाहता हूँ |
आझादी के बाद देश ने विविध क्षेत्रों में बहुत तरक्की की है, इस बात को मैं जरूर
मानता हूँ | विज्ञान और टेकनोलोजी के साथ देश में तरक्की का ग्राफ निरन्तर बढता
रहा है| मगर देश के सामने कईं मुश्किलें हैं और चुनौतियाँ हैं | यूं कहें कि देश में सबकुछ होते हुए भी हम
इंसानियत को भूल रहे हैं | इसलिए हमारी सारी मुश्किलों की जड़ इसी में समाहित है|
देश
आज राम का नाम भूल गया है और राम के नाम राजनीति करने वालों का तांता लगा है | मैं
था तब की बात ओर थी मगर मेरे जाने के बाद मेरे विचार और मेरे नाम का उपयोग सभी ने
अपनी ज़रूरतों के मुताबिक किया है | मैं तो देश का सेवक रहा हूँ और आप सभी का दास |
मेरे विचार आज किसी भी राजनीतिक दलों के काम आता हैं तो वो खुशी से उन विचारों को
लेकर चलें | मुझे विश्वास है कि अगर मेरे विचारों पर ही अमल किया जाएगा तो इस देश
को किसी भी तरह का नुकसान तो नहीं होगा | आझादी
के बाद ही मैंने तुरंत कहा था कि अब कांग्रेस का कार्य सम्पन्न हो गया है |
कांग्रेस को बिखेरने का समय आ गया है | मेरे जीते जी यह नहीं हुआ और आज भी
कांग्रेस राजनीतिक दल के रूप में कार्य कर रहा है मगर मैं उनमें कहीं भी नहीं हूँ
|
सरदार
हम सब के ‘सरदार’ थे, मैं खुद उनसे प्रभावित था | उन्हों ने देश के लिए जो कार्य
किया और अपने आप को ‘लोह पुरुष’ के रूप में साबित किया मगर उन्हों ने कभी देश सेवा
का दावा नहीं किया | डॉ. आम्बेडकरने उस समय के अनुसार देश के हालातों को मद्देनज़र
जो संविधान बनाया वो आज भी प्रस्तुत है | मैं ऐसा कतई नहीं कहा था कि आज के बदलते
दौर में देश हित के लिए किसी छोटी सी कलम से
संविधान में शामिल करने की गुंजाईश नहीं है | इसका मतलब यह नहीं कि पूरा
संविधान ही बदल दिया जाएं | हमारे संविधान के समकक्ष दुनिया के किसी भी देश का
कायदा-क़ानून नहीं हैं | यह मिल का पत्थर है |
आजकल
कांग्रेस देश की सर्वोच्च सत्ता पर है | आनेवाले चुनाव को लेकर देश में जो गर्माहट
है उससे भी ज्यादा देश के नेताओं के खिलाफ दर्ज़ भ्रष्टाचार एवं अपराधिक केस के लिए
गर्माहट हैं | आज की स्थित यह है कि
कोई भी पक्ष यह साबित नहीं कर सकता कि
उनके साथ एक भी नेता ऐसा नहीं जो भ्रष्टाचार और अपराधिक मामले में शामिल नहीं है |
इसका सबसे बड़ा कारण टेकनोलोजी का दुरुपयोग है | मैं टेकनोलोजी का विरोधी नहीं हूँ
मगर उसका विवेकपूर्ण उपयोग करने और कराने में हम विफल रहे हैं | चीन अपने देश की
जानकारी विश्व को नहीं होने देता | इंटरनेट के माध्यम से हमने देश को दुनिया के
सामने इस कदर खुला कर दिया कि हमारे अंदरूनी मामले भी विश्व की चौपाल पर नौटंकी की
तरह पेश होने लगे |
हमें
पहले से यह अनुभव है कि हमारे पडौसी देशों पर भरोसा करना मूर्खता है | आज मुझे
बेबाक होकर कहना पड़ रहा है कि संविधान के अनुसार देश में अनेक राजनीतिक दलों का जो
गठन हुआ है और उन छोटे छोटे दलों के सहारे से बनती कोई भी सरकार उनके सामने घुटने
टेकने को मजबूर हो जाती है | यही कारण से अपनी सरकार बचाने का हाई कमांड और साथी
दलों के दबाव में हमने देश का एक महान अर्थशास्त्री को खो दिया है | राज्यों के
मुख्यमंत्रियों के प्रधानमंत्री बनने के सपने और अभिमान प्रदेश तक सीमित न रहकर
देश-दुनिया के सामने अपने देश की नाक कटवा रहा है | विपक्ष के साथ सालों से सहयोग
देने वाले अचानक उनके खिलाफ होने से विपक्ष बौखला गया है | उनके पास चुनाव लडने के
लिए सक्षम चेहरा नहीं है | एक आदमी जो अपने संयम और मति को भ्रष्टता की ओर अग्रेसर
करते हुए निर्लज भाषा का प्रयोग कर सकता है वो भी अंतत: मूल कांग्रेसी दिग्गज
नेताओं के कुर्ते को पकडकर चलता है |
नवाज़
शरीफ ने प्रधानमंत्री के बारे में गैरजिम्मेदाराना बयान दिया या नहीं, वो स्पष्ट
हुआ नहीं था | ऐसे में उसी मुद्दे को सोश्यल नेटवर्क से उठाकर किसी राज्य के
मुख्यमंत्री ने देश के प्रधानमंत्री की तौहीन कर दी| यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है |
नवाज़ शरीफ के कहने से ज्यादा उस मुद्दे से चुनाव का फायदा उठाने का जरुर सोचा होगा
मगर यह नहीं सोचा कि आपके शब्दों से दुनिया के सामने यह मुद्दा अहम साबित हुआ |
बहार का कोई अपमान करें तो उसे जवाब दे सकते हैं मगर अपने ही अपमान करें तो देश की
एकता और अखंडितता पर बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लगता है | किसी भी राज्य का
मुख्यमंत्री यह कहने लगें कि – “आज मुझे पूरी दुनिया सुन रही है” – यह मात्र विधान
नहीं हैं, इस विधान के पीछे ज़बरज्स्त अभिमान की हूंकार है, जो उन्हीं को ले
डूबेगी | किसी भी राजनेता के भाषण को सुनने भीड़ का इकठ्ठा होना और उसी भीड़ का उसी
नेता के पक्ष में मतदान करना अलग बात है | देश की प्रजा सब देख रही है | सजग है और
संभल गई है | सत्तापक्ष के खिलाफ अनगिनत भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं | उनकी
नाकामी किसी कहानी के राजकुमार की जादुई छड़ी से ‘राम राज्य’ प्रस्थापित कर सकें
ऐसा विश्वास हम नहीं कर सकतें |
देश
में हो रहें बलात्कार, दंगे और भ्रष्टाचार जिस तरह से बढ़ रहा है, ऐसे में हम कभी
पडौसी देशों से सलामत नहीं रह सकतें | क्यूंकि जिस घर में एकता न हों और आपसी
खींचातानी से फुर्सत न हों ऐसे में पडौसी देश सीमा पर हमारे सैनिकों के सर काट
सकते हैं | मैंने अहिंसा का मार्ग जरूर दिखाया था मगर आज का समय और स्थिति के
अनुकूल देश हित में लिया गया हर ठोस कदम से मैं सहमत हूँ | मैंने यह तो नहीं किया
था कि हम परिवर्तन न करें, तरक्की न करें...!
मैंने हमेशा चाहा कि हमसे किसी को नुकसान न हों, देश की भलाई के लिए कार्य
करें और साथ मिलकर आगे बढ़ें | मगर मेरे अनगिनत विचारों का विकृत अर्थघटन कईं
नेताओं ने अपनी भलाई के लिए किया है | आज मुझे कहना पड़ेगा कि जो व्यक्ति यह कहता
है कि मैं गांधी विचारधारा को मानता हूँ | कम से कम उसे अपने आचरण से यह साबित
करना होगा, संगठित होना होगा |
एक
बात स्पष्ट कर दूं – देश में चाहें किसी भी पक्ष का नेता अगले चुनाव के बाद
प्रधानमंत्री बनें | उन्हें सत्ता को संभालना आसान नहीं होगा | बिना गठबंधन सरकार
बनेगी नहीं और जोडतोड की राजनीति का भविष्य उज्जवल होता नहीं है | आज आप जिस पर
आरोप लगा रहे हैं, वोही आरोप अलग शब्दों में आपके सामने भी आएगा |
आप
नवाज़ शरीफ की औकात पर सवाल उठा सकते हैं, मगर इतने सालों से चल रहे आतंक का आका तो
नापाक धरती से ही पैदा हुआ है | सत्ता के बावजूद भी कठिन है | अगर आप वादे के
अनुसार कुछ कर सकेंगे तो देश की सेवा होगी |
ज्यादा कहने से बेहतर कुछ करने में महारत हांसिल करनी चाहिए | दुनिया का
सबसे ऊंचा स्टेच्यू हमारे सरदार का होगा ये जरूर कहें मगर ‘स्टेच्यू ऑफ लिबरटी’ से
दुगना कहकर अमरीका को आप जाने-अनजाने में क्यूं छेड़ने का मतलब एक और विरोधी हो
न्यौता देना | अमरीका और पाकिस्तान जानता है कि भारत के पास ताकत होने के बावजूद
नेताओं-दलों की आपसी लड़ाई, भ्रष्टाचार और अपराध के मामलों में उलझे हुए सभी नेता
निर्णय कर नहीं सकते और देश की सेना के हाथ में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है |
ऐसे हालत में हर कोई देश भारत पर ऊंगली उठाएगा | अहिंसा का एक ओर अर्थ है – अपनी
ताकत होते हुए भी किसी निशस्त्र या निर्बल पर अत्याचार के रूप में हिंसा न करें | मैंने
जरूर कहा था कि एक गाल पर कोई थप्पड़ मारें तो दूसरा गाल धरें | मगर हम पर अत्याचार
के रूप में कोई हाथ उठाता है तो उसका कडा मुकाबला करना चाहिए | अगर मैं अन्यायों
के खिलाफ लडने की हिमायत नहीं रखता तो हमें अंग्रेजों से आझादी नहीं मिलती | देश
के अनगिनत लोगों ने इस देश के लिए रक्त बहाया है | हमारे वीर शहीदों को सच्ची
श्रद्धांजलि और सम्मान देने और देश की एकता-अखंडितता के लिए हमें आपस में प्यार से
रहना होगा | विपक्ष का मतलब यही है कि सत्ता पक्ष को जागृत रखना | मतलब यह नहीं कि
गालियाँ देकर पवित्र संसद को अपवित्र करना |
आज
के दिन मैं आप सभी से हाथ जोडकर प्रार्थना करता हूँ कि अब भी समय है, संभाल जाओ |
भ्रष्टाचार के पैसे हमारे काम नहीं आतें | धर्म के नाम पाखंड रचाने वालों का असर
भी हमने देखा है | अपने देश के लिए प्यार और समभाव से जिएं और देश की सुरक्षा के
लिए पूरी ताकत से कदम बढ़ाएँ| सत्ता मोह से ज्यादा देशप्रेम के लिए कार्य करें|
जय
हिन्द
मोहनदास
करमचंद गांधी
(चित्र : अशोक खांट)
(चित्र : अशोक खांट)
बापू जागरूक
ReplyDeleteनेता गए
रूक रूक।
word verification disable kijiye.
nice !!!
ReplyDeleteनुक्कड के श्री अविनाश जी,
ReplyDeleteआपसे सहमत... आभार ! आज ही इस ब्लॉग का उदघाटन किया है
आदरणीय श्री धरम पाल जी,
ReplyDeleteनमस्कार .. बहुत दिनों बाद मिलना हुआ..
इस ब्लॉग पर आकर आपका विचार रखने के लिए आभारी हूँ ..
badia chitthi bapu ki
ReplyDeleteसमसामयिक पोस्ट ..........
ReplyDeleteरीटा जी,
ReplyDeleteआपका मेरे इस ब्लॉग में स्वागत एवं आभार व्यक्त करता हूँ
नीलिमा जी, आपका स्वागत ... समसामयिक तो जरूर हैं मगर कुछ अपना विचार भी होता...
ReplyDeleteअहिंसा का एक ओर अर्थ है – अपनी ताकत होते हुए भी किसी निशस्त्र या निर्बल पर अत्याचार के रूप में हिंसा न करें | मैंने जरूर कहा था कि एक गाल पर कोई थप्पड़ मारें तो दूसरा गाल धरें | मगर हम पर अत्याचार के रूप में कोई हाथ उठाता है तो उसका कडा मुकाबला करना चाहिए | अगर मैं अन्यायों के खिलाफ लडने की हिमायत नहीं रखता तो हमें अंग्रेजों से आझादी नहीं मिलती | _____________
ReplyDeleteनित्य नित्य नव भाव देने वाला पोस्ट। बड़े भाई को इसके लिए प्रणाम!
मेरे प्रिय अनुज,
Deleteमुझे बड़ी खुशी है कि आपने पसंदीदा पंक्तियों को रखते हुए अपने विचार प्रकट किये... मैं आभारी हूँ
एक चिठ्ठी बापू के नाम .....सत्य को उजागर करती एक सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteअंजू जी,
Deleteआपकी अमूल्य टिप्पणी और आज ही शुरू किए गए इस ब्लॉग में शामिल होने के लिए आभारी हूँ
बहुत अच्छा सन्देश, देश हित में .. गाँधी जी के कथन के बहाने ही ...
ReplyDeleteडॉ. नूतन,
Deleteआपका स्वागत है... धन्यवाद
बहुत सुन्दर और सार्थक पोस्ट .. बधाई आप को
ReplyDeleteमीना जी, आपकी उपस्थिति का आनंद प्रकट करता हूँ
Deleteपंकज जी इस ब्लॉग के लिए आपको शुभकमनयें जिसका प्रारम्भ एक मार्गदर्शक के पद चिन्ह से हुआ है....आगे ऐसे और चराग हमारी सभ्यता, संस्कृति और भाषा की राह को रोशन करेंगे।
ReplyDeleteआदरणीय देवी जी,
Deleteनमस्कार | आपका इस ब्लॉग पर देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई | आपने मुझ पर जो भरोसा जताया है, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि मैं वैसा कर सकूं .. आपके स्नेह-आशीर्वाद के लिए आभारी हूँ
ज़रुरत हमें खुद को टटोलने की है ... १ रुपये के काल और ८ रुपये के समोसे की स्थिति का विश्लेषण करने की है… बढ़िया लेखन
ReplyDeleteरश्मि जी, आपने बिलकुल सही कहा .. अमूल्य टिप्पणी के लिए आभार
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट
ReplyDeleteप्रिय समीर जी (उड़न तश्तरी),
ReplyDeleteआपकी अमूल्य टिप्पणी के लिए आभारी हूँ
pankaj ji bahut badiya lekh likha hai aapne..badhai sweekar karein
ReplyDeleteregards
seema sharma
आपकी कलम से जन्में गांधी जी के विचार आज के सन्दर्भ में समसामयिक तो हैं ही प्रयोग करने तथा
ReplyDeleteसोचने की सामिग्री भी ,साधुवाद।
विनीता शर्मा
bahut difficult sthiti ke vishay me patr hai..
ReplyDeleteMeena Trivedi
bahut badhiya ,aaj agar bapu hote to wo bhi yahi kahte ...ahinsa ki paribhasha aapne bahut achhi tarah batayee hai ...ham bhartiy sirf ateet me hi jeete hai , vartmaan me nahi ...
ReplyDeleteसम्माननीय उपासना जी, सीमा शर्मा, विनीता शर्मा और मीना त्रिवेदी
ReplyDeleteआप सभी के द्वारा की गई अमूल्य टिप्पणी के लिए मुझे बड़ी खुशी है और हौसला बढाने के लिए मैं आभारी हूँ...
बहुत ही गंभीर भावों की गूढ़ बड़ी गहरी बात आपने इस लेख के जरिये दी है....शानदार अभिव्यक्ति . बहुत बढ़िया बधाई बहुत बहुत पंकज जी
ReplyDeleteपंकज जी आपकी अभिव्यक्ति में गांधी जी की आत्मा की पुनरागमन का आभास है l काश आपकी बात को नेतागण पढ़ पाते l
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
सार्थक, सटीक !
ReplyDeleteज़रुरत है आज ऐसे लेख की ..........
सिया जी,
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा... बहुत जिम्मेदारी से इस गंभीर बात को लिखने का प्रयास जरूर किया है | हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया
सम्माननीय कालीपद प्रसाद जी,
ReplyDeleteनमस्कार | साहित्यकार जब आलेखन करता है तो कईं मौके पर वो परकाया प्रवेश कर लेता है | शायद यही हुआ है मेरे साथ भी |
मैं आपका विनम्र भावों से आभारी हूँ
आदरणीय हृदयानुभूति जी,
ReplyDeleteमुझे खुशी है कि आपको यह पत्र पसंद आया | धन्यवाद
अच्छा है
ReplyDeleteतुषार जी, धन्यवाद
ReplyDeletesunder bahut acha likha h achi shuruat hai
ReplyDeleteKala Pareek
कला जी, आपका आभार
ReplyDeleteRajkumar Chunni Sharma
ReplyDeleteबहुत सही है सर !! शायद बापू कुछ ऐसा ही सोचते ...
October 2 at 6:53pm · Unlike · 1
Rajkumar Chunni Sharma
ReplyDeleteसर ! आभार तो आपका है जो मौजूद हालात पर इतना अच्छा आर्टीकल पढ़ने को मिला ...
उमेश मौर्य
ReplyDeleteइसी पल की प्रतीक्षा थी | ब्लॉग के सुभारम्भ की | जब से नव्या ब्लाक हुई तब से ... आपके साथ साथ साहित्य की राह चलने की ... अब फिर से नव्या समूह के पाठक और रचनाकार एक मंच पर इकठ्ठा हो सकेगे | .... अभिनन्दन ... और हार्दिक ख़ुशी के साथ ...
October 2 at 8:19pm · Like · 1
दुर्लभ सामग्री उपलव्ध करने के लिए हार्दिक आभार Pankaj Trivedi जी. -
ReplyDeleteसहज (डा.रघुनाथ मिश्र ,'सहज').
bahut khub sir ji
ReplyDeleteSudheer Maurya
आपने बहुत ही अच्छा विषय लिया ... बहुत खूब ..! नए ब्लॉग की शुभकामनाये !
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार
साभार ! सह्रदय
अनुराग त्रिवेदी - जबलपुर
प्रिय अनुराग जी,
ReplyDeleteआपकी कदर से मैं खुश हूँ .. क्यूंकि मैंने थोडा हट के ही लिखने का सोचा था |
बात तो वोही है समसामयिक | जिसे हम सब जानते हैं और टीवी-अखबार में देखते हैं
आपका आभारी हूँ
Meenakshi Srivastava
ReplyDeleteअपने देश के लिए प्यार और समभाव से जिएं और देश की सुरक्षा के लिए पूरी ताकत से कदम बढ़ाएँ| सत्ता मोह से ज्यादा देशप्रेम के लिए कार्य करें - sachchi baat kahi hai in panktiyon men aapne Pankaj trivedi ji .
Jyotsna Singh
ReplyDeleteGandhi ji ne bhi kabhi socha nahi hoga ki hamara desh ki yeh dasha ho jaayegi.
बापू की ही कलम से निकला पत्र, ऐसा लगा!!
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